रविवार, 24 फ़रवरी 2008

सत्य का निजी अनुभव है :- तत्व ज्ञान

तत्व ज्ञान का अर्थ शास्त्रीय ज्ञान नहीं है । उधार ज्ञान नहीं है. आप ‘गीता’ रट लें इससे कुछ ज्ञान नहीं होगा आप 'धम्म पद याद कर लें , 'कुरान की आयतें कंठस्थ कर लें , इससे कुछ नहीं होगा । यह उधार है और ध्यान रहे , उधार का ज्ञान होता ही नहीं , सिर्फ़ आप शब्द इकट्ठे कर लेते हैं और ये शब्द स्मृति मैं बैठ जाते हैं ।
स्मृति ज्ञान नहीं है । ज्ञान का अर्थ है अनुभव । कृष्ण कहते हैं , ज्ञानिओं, ज्ञानवानों , का तत्व ज्ञान मैं ही हूँ , अनुभव मैं ही हूँ। अर्थात उस निजी अनुभव मैं जो जाना जाता है , वही परमात्मा है ।
परमात्मा के सम्बन्ध मैं जानना परमात्मा नहीं है। टू नो अबाउट गोड इस नाट टू नो गोड। यानि कि पमात्मा की बाबत जानना झूठा ज्ञान है - मिथ्या जानकारियों का संग्रह है और परमात्मा को जानना ही तत्व -ज्ञान है ।

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

hi, prashant mishra .....

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