एक समय की बात है ,  ब्रह्मा आदि देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर  दयामई   दुर्गा   मां   ने   कहा   -
                  "देवगण!   सुनो -  यह  रहस्य  अत्यन्त  गोपनीय  व दुर्लभ  है  ।  मेरी  बत्तीस  नामों  की  माला  सब  प्रकार  की  आपत्ति  का  विनाश  करने  वाली   है  । तीनों  लोकों  में  इसके  समान  कोई  स्तुति  नहीं  है  -
              दुर्गा               दुर्गार्तिशमनी                                      दुर्गापद्विनिवारिणी   । 
             दुर्गमच्छेदिनी                        दुर्गसाधिनी                           दुर्गनाशिनी   । । 
             दुर्गतोद्धारिणी                       दुर्गनिहन्त्री                              दुर्गमापहा     । 
            दुर्गमज्ञानदा                                                         दुर्गदैत्यलोकदवानला  । । 
            दुर्गमा                          दुर्गमालोका                        दुर्गमात्मस्वरूपिणी     । 
            दुर्गमार्गप्रदा                    दुर्गमविद्या                                   दुर्गमाश्रिता । । 
           दुर्गमज्ञानसंस्थाना                                                  दुर्गमध्यानभासिनी  । 
           दुर्गमोहा                              दुर्गमगा                          दुर्गमार्थस्वरूपिणी । । 
           दुर्गमासुरसंहन्त्री                                                        दुर्गमायुधधारिणी   । 
            दुर्गमान्गी                      दुर्गमता      दुर्गम्या                       दुर्गमेश्वरी   । । 
           दुर्गभीमा                    दुर्गभामा           दुर्गभा                      दुर्गदारिणी    । 
          नामावलिमिमां               यस्तु           दुर्गाया           मम           मानवः  । । 
 जो देवगण, मनुष्य और    दैत्य     इस     नाम    माला    का    पाठ     करता    है    ;    वह    सब    प्रकार    के    भय    से   मुक्त  हो   जाता  है । 
             .....................प्रस्तुति :- तरुण  मिश्रा 
रविवार, 6 अप्रैल 2008
श्री दुर्गा बत्तीस नाम माला
Posted by tarun mishra on 6:03 am



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