गुरुवार, 20 मार्च 2008

जो मांगोगे वही मिलेगा ...२ (गतांक से आगे )

कल्प वृक्ष की परिकल्पना
हमने कल्पना की की स्वर्ग में कल्प वृक्ष होंगे , उनके नीचे आदमी बैठेगा । इच्छा करेगा , करते ही इच्छा पूरी हो जायेगी । लेकिन अगर आपको कल्प वृक्ष मिल जाये , तो बहुत सम्हलकर उसके नीचे बैठना । क्योंकि आपकी इच्छाओं का कोई भरोसा नहीं है ।
मैंने एक कहानी सुनी है । एक दफा एक आदमी - हमारे -आपके ही जैसा एक आदमी -भूल से कल्प वृक्ष के नीचे पंहुच गया । उसको पता भी नहीं था कि यह कल्प वृक्ष है । उसके नीचे बैठते ही उसको लगा कि बहुत भूख लगी है : अगर कहीं भोजन मिल जाता तो .... । वह एक दम चौंका , एक दम भोजन की थालियाँ चारो तरफ आ गईं । वह थोड़ा डरा भी कि यह क्या मामला है , कोई भूत प्रेत तो नही है यहाँ ! कहीं यहाँ कोई भूत प्रेत न हो ! उसके ऐसा सोचते ही - भोजन की थालियाँ गायब हो गईं , भूत प्रेत चारों ओर खडे हो गए । वह घबराया ! यह तो बडा उपद्रव है कोई गला न दबा दे ! भूत प्रेतों ने उसका गला दबा दिया ।
आपको अगर कल्प वृक्ष मिल जाये तो भाग जाना , क्योंकि आपको अपनी इच्छाओं का कोई पक्का पता नहीं की आप क्या मांग बैठेंगे । क्या आप के भीतर से निकल आएगा । आप झंझट में पड़ जायेंगे , वहां पूरा हो जाता है सब कुछ ..................................... ।
होली की हार्दिक शुभकामनायें ....

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