अक्ल कहती है न जा कूचा -ऐ -कातिल की तरफ़ ।
सरफरोशी की हवश कहती है , चल क्या होगा । ।
बड़े शौक व तवज्जो से सुना दिल के धड़कनें को ।
में यह समझा कि शायद आपनें आवाज़ दी होगी । । होगी । ।
नियाजे -इश्क की ऐसी भी एक मंजिल है ।
जहाँ है शुक्र शिकायत किसी को क्या मालूम । ।
रविवार, 8 जून 2008
शेर - ओ - शायरी
Posted by tarun mishra on 12:28 am
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